Chapter :1

गर्मियों की छुट्टियाँ शुरू हो गयी और मेरे सभी दोस्त घर वापिस आने वाले हैं ! जो पढाई के लिए बाहर गए थे .मई जून में क्या करना है इस की योजना दिसम्बर में ही बन जाती है .बहुत मज़ा आता है दोस्तों की नयी नयी बातें सुन कर , और घूमने फिरने में ,इसी में पूरा दिन बीत जाता है और पता ही नहीं चलता और ये छुट्टियाँ ख़तम हो जाती हैं .
मैं दोस्त विशाल को लेने इलाहाबाद स्टेशन लेने गया वहां मिलते ही पहला सवाल कैसा है तू यार बहुत दिन बाद मिल रहे हैं हम .....
जवाब भी काफी दिलचस्प था बस यार पूरे मजे में हूँ बस इस बार भी गर्ल फ्रेंड बनते बनते रह गयी हा हा...और अपनी बता ..सब मस्त है बॉस..... स्टेशन से घर तक का रास्ता इलाहाबाद सड़क की वर्तमान हालत की बुराई करते करते बीता की ...नगर निगम वाले मिल जाएँ तो इनकी ......दिल्ली में छ लेन की रोड
देख लेने क बाद ये खुदी हुई सड़के देख कर कोई बी दंग रह जायेगा .जो भी हो इलाहाबाद सब से अच्छा है अंत में यही निश्चित हुआ और हम घर तक पहुँच गएँ .शाम को यमुना पूल पर मिलने की प्लानिंग हुई और बाय फॉर नॉव हो गया ...
मैं और विशाल १०+२ तक साथ साथ पड़ें हैं.और २००९ में १२ पास करने के बाद इंजीनियरिंग करेंगे कुछ ऐसा हमने सोचा था . संयोग वश हम दोनों को सरकारी इंजीनियरिंग कालेज नहीं मिला और Private College से इंजीनियरिंग करना हमारी शान के खिलाफ लगता था .Vishal को JNU दिल्ली में और मुझे AU Allahabad में admission मिल गया है .आज हम दोनों के 4 semester over हो गएँ और ये summer holidays का time है ,
शाम के टाइम पूल के पिल्लर नो. 2 पर हम मिले ,पढाई लिखी के बारे में पूछा और बताया .विशाल बोला यार इस सेमस्टर में अगर पास हो जाएँ तो अगले सेमस्टर में इतनी मेहनत करूंगा की....वही पुरानी बात .
इंट्रेस्टिंग टोपिक अभी शरू होने वाला है .
मैंने पुछा JNU और तेरी Senior ma'am के क्या हाल है?!! .काफी लापरवाही के साथ हाल तो वही है बस पिक्चर बदल गयी है दोस्त .पहले a walk to remember lagi थी आज DevDas लगी है ..hahahaha
हम ने इस पर कहा की इस बात की ट्रीट नहीं दी थी ना इसी लिए ऐसा हो रहा है हाहा. चल जो भी हो बहुत बात हो गयी कुछ खातें है यार अब ,सीधी से नीचे उतर कर नीचे चाट और गोलगप्पे खाया. हम ने आब बोला अब शुरू हो जा बेटा पूरी स्टोरी सुना दे.मेरे रहते हुए तो देवदास बने ना.. ना ...हम घाट की सीढियों पर बैठे जहां पर बहुत रौशनी थी और लोग ठंडी हवा ले रहे थे ...!
मुझे तो पहले से पता था की ये क्या बताने वाला है और इस के दिमाग में क्या चल रहा है क्यूँ की facebook और sms से हम हमेसा connected रहते थे फिर भी face to face और chatting में बहुत फर्क है .हमारी आदत है की हर बात हसते हुए ही करते हैं चाहे वो रोने वाली बात ही क्यूँ ना हो पर आज विशाल बहुत शालीन औए श्हंत दिख रहा था मैंने सोप्चा की Dellhi पढ़ाई लिखाई का कहीं ज्यादा असर तो नहीं हो गया, इतना परिवर्तन मेरे इस दोस्त में जो बड़ा Cool,smart and Professional है खैर जो भी हो उस ने बताना शुरू किया और सुन ने मजा भी आ रहा था क्यों की यह यहीं बैठे बैठे JNU campus घूम आने जैसा लग रहा था ...और Story happy ending होगी तो एक ट्रीट पक्की थी ...
Related Post:
Chapter :2 of story.
http://dhbhsh.blogspot.com/2011/05/chapter-2.html

गर्मियों की छुट्टियाँ शुरू हो गयी और मेरे सभी दोस्त घर वापिस आने वाले हैं ! जो पढाई के लिए बाहर गए थे .मई जून में क्या करना है इस की योजना दिसम्बर में ही बन जाती है .बहुत मज़ा आता है दोस्तों की नयी नयी बातें सुन कर , और घूमने फिरने में ,इसी में पूरा दिन बीत जाता है और पता ही नहीं चलता और ये छुट्टियाँ ख़तम हो जाती हैं .
मैं दोस्त विशाल को लेने इलाहाबाद स्टेशन लेने गया वहां मिलते ही पहला सवाल कैसा है तू यार बहुत दिन बाद मिल रहे हैं हम .....
जवाब भी काफी दिलचस्प था बस यार पूरे मजे में हूँ बस इस बार भी गर्ल फ्रेंड बनते बनते रह गयी हा हा...और अपनी बता ..सब मस्त है बॉस..... स्टेशन से घर तक का रास्ता इलाहाबाद सड़क की वर्तमान हालत की बुराई करते करते बीता की ...नगर निगम वाले मिल जाएँ तो इनकी ......दिल्ली में छ लेन की रोड
देख लेने क बाद ये खुदी हुई सड़के देख कर कोई बी दंग रह जायेगा .जो भी हो इलाहाबाद सब से अच्छा है अंत में यही निश्चित हुआ और हम घर तक पहुँच गएँ .शाम को यमुना पूल पर मिलने की प्लानिंग हुई और बाय फॉर नॉव हो गया ...
मैं और विशाल १०+२ तक साथ साथ पड़ें हैं.और २००९ में १२ पास करने के बाद इंजीनियरिंग करेंगे कुछ ऐसा हमने सोचा था . संयोग वश हम दोनों को सरकारी इंजीनियरिंग कालेज नहीं मिला और Private College से इंजीनियरिंग करना हमारी शान के खिलाफ लगता था .Vishal को JNU दिल्ली में और मुझे AU Allahabad में admission मिल गया है .आज हम दोनों के 4 semester over हो गएँ और ये summer holidays का time है ,
शाम के टाइम पूल के पिल्लर नो. 2 पर हम मिले ,पढाई लिखी के बारे में पूछा और बताया .विशाल बोला यार इस सेमस्टर में अगर पास हो जाएँ तो अगले सेमस्टर में इतनी मेहनत करूंगा की....वही पुरानी बात .
इंट्रेस्टिंग टोपिक अभी शरू होने वाला है .
मैंने पुछा JNU और तेरी Senior ma'am के क्या हाल है?!! .काफी लापरवाही के साथ हाल तो वही है बस पिक्चर बदल गयी है दोस्त .पहले a walk to remember lagi थी आज DevDas लगी है ..hahahaha
हम ने इस पर कहा की इस बात की ट्रीट नहीं दी थी ना इसी लिए ऐसा हो रहा है हाहा. चल जो भी हो बहुत बात हो गयी कुछ खातें है यार अब ,सीधी से नीचे उतर कर नीचे चाट और गोलगप्पे खाया. हम ने आब बोला अब शुरू हो जा बेटा पूरी स्टोरी सुना दे.मेरे रहते हुए तो देवदास बने ना.. ना ...हम घाट की सीढियों पर बैठे जहां पर बहुत रौशनी थी और लोग ठंडी हवा ले रहे थे ...!
मुझे तो पहले से पता था की ये क्या बताने वाला है और इस के दिमाग में क्या चल रहा है क्यूँ की facebook और sms से हम हमेसा connected रहते थे फिर भी face to face और chatting में बहुत फर्क है .हमारी आदत है की हर बात हसते हुए ही करते हैं चाहे वो रोने वाली बात ही क्यूँ ना हो पर आज विशाल बहुत शालीन औए श्हंत दिख रहा था मैंने सोप्चा की Dellhi पढ़ाई लिखाई का कहीं ज्यादा असर तो नहीं हो गया, इतना परिवर्तन मेरे इस दोस्त में जो बड़ा Cool,smart and Professional है खैर जो भी हो उस ने बताना शुरू किया और सुन ने मजा भी आ रहा था क्यों की यह यहीं बैठे बैठे JNU campus घूम आने जैसा लग रहा था ...और Story happy ending होगी तो एक ट्रीट पक्की थी ...
Related Post:
Chapter :2 of story.
http://dhbhsh.blogspot.com/2011/05/chapter-2.html
No comments:
Post a Comment