 इश्वर पत्थर में नहीं होते हैं ,ये विस्वास और आस्था होती है की हम हम इसे हर जगह ढूंढ लेते है ,और यही सही भी है.जैसा आप विस्वास करते हैं सब कुछ वैसा ही होता जाता है .
इश्वर पत्थर में नहीं होते हैं ,ये विस्वास और आस्था होती है की हम हम इसे हर जगह ढूंढ लेते है ,और यही सही भी है.जैसा आप विस्वास करते हैं सब कुछ वैसा ही होता जाता है .university campus  ऐसी बहुत से जगह थी जहाँ स्टुडेंट्स का जमावड़ा लगता था जैसे काफी शाप ,कैंटीन ,और वो सफ़ेद फौवारा जो कॉलेज campus के बीच में था ,जिस के चारो तरफ खड़े हो कर ,कॉलेज पोलिटिक्स होती ,किस ने किस से क्या कहा ,उस का किसी के साथ क्या चल रहा है ,नयी bike ,मोबाइल,मूवी कौन सी है ,और जो भूल के भी पढाई की बात करता उसे चुप रहने को कहा जाता ,क्यूँ की पढाई की बात तो क्लास में होती ,जब lecture  शुरू होता .इन सब में विशाल ने ma'am को कभी नहीं देखा ,उसे ये बात ठीक  भी  लगी की ये सब फ़ालतू हो जाता है जिस के पास ढेर सारा काम हो ,और लाइफ खुद में बहुत busy  हो .
विशाल ने फिर से कुछ पूछने के लिए अपनी senior ma'am से request  की . हमेशा की तरह  उन्होंने ने मना नहीं किया ,पर ये क्या जब वो पढने के लिए बैठता कोई न कोई दूसरा junior बीच में टपक जाता ,या और कुछ हो जाता ,दो- तीन दिन ऐसा हुआ.एक दिन उसने बहुत वेट किया पर किया पर ma'am आई ही नहीं .उसे बहुत बुरा लगा की यार  एक बार बता तो देना चाहिए था की नहीं आना है इतना वेट क्यूँ करवाया ,यही बात उस ने sms से कह दी .फिर क्या था अगले दिन उस को ऐसा सुनाया उस की ma'am ने की बोलती बंद हो गयी ,उसे समझ नहीं आ रहा था की आखिर बात क्या हुई ,उस की  इतनी insult आज तक नहीं हुई थी,वो चुप चाप सुनता रहा ,और यहाँ पर एक वार होते होते रह गयी,क्यूँ की विशाल ने सारी की अलावां और कुछ न बोला ....

अपने घर के युवराज को ना ऊँचा बोलने ,ना सुनने  की आदत थी ,पर यहाँ जो कुछ भी हुआ था उस के लिए वो खुद को कभी माफ़ नहीं कर पायेगा की उस ने ऐसा क्यूँ बोला ,कभी उसने डांट तक नहीं खायी थी और यहाँ तो .......
दशहरा पर जब वह घर आया था हम फिर से मिले उस की पूरी बात मैंने अच्छे से सुनी क्यूँ की मेरे लिए iPOD गिफ्ट में लाया था ,हाहा हाहा :P :)
वो देल्ही इस बार नए जोश, उत्शाह के साथ वापिस गया, की अब पढाई पर पूरा ध्यान लगाना है ,बाकी सब सम्हालने की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गयी...
Chapter:3 of "A junior’s Imagination!!!"
वो  इतना possessive  हो गया था की उसे छोटी छोटी बातें बहुत अच्छी लग जाती  थी, और कभी कभी  बुरी लग रही थी लेकिन उस की पसंद, नापसंद से क्या होता है .कोई सुने  तब ना  वो बताये इसे 
उसने सोच लिया की वह उन से बात नहीं करेगा चाहे जो जाए .उस ने बहुत अच्छे दोस्त बनाये ,और सीखा college लाइफ कैसे जिया जाता है .और दुसरे अन्य senior sir ,ma'am से  पहचान  बढाई .यहाँ तक सब ठीक ठाक होता रहा .
यह दिन उस के कैसे बीते उसे ही पता है ,पर शायद ही ऐसा कोई दिन बीता हो जब उस ने फ़ोन पर न बताया हो की,.... उन को कितना याद करता है.....!!इन दिनों उसे मालूम हुआ की कैसे उसी ma'am दुसरो से अलग है ,की कैसे उनसे  बेहतर कोई नहीं है  यहाँ  पर,कैसे और senior ''क्या करना है " बताते हैं पर शायद किसी ने बताया हो की कैसे करना है ,कैसे senior अपना रोब दिखाते है और बहुत सी बातें.........
दोस्तों के क्या कहने ,ना तो उस ने ईमानदारी  से दोस्ती की थी ,ना किसी ने निभाई.सिर्फ नाम के दोस्त थे पूरे Professonal type!!!
वो मुझे दोष दे रहा था .की मैंने उसे ऐसी सलाह क्यूँ दी .जिस से न वह इधर का रहा न उधर का ,वह सब कुछ छुपाना चाह रहा था. मैं उसे बताने के लिए कह रहा था ,शुरू से मैंने ही उसे अपनी राय दी ये सोच कर की वो इस को एन्जॉय कर रहा है ,समझदार  है ,लेकिन इतनी नादानी करेगा पता नहीं था....ये attraction, था और कुछ नहीं .लेकिन वो नहीं माना,उस ने  खुद किसी की हेल्प करने की सोची जैसे की उस की ma'am ने उस की थी.शायद इस से ये पता लग जाता की जो उसे महसूस हो रहा है वही दुसरो को भी होता है और शायद एक अच्छा कारण भी ,
आज तक जब भी ma'am से बात हुई थी .कोई ना कोई किताबी समस्या साथ होती थी .और एक समस्या मिल गयी थी प्रोजेक्ट के रूप में .जो उसे आता भी था, और नहीं भी आता था ,पर पूछने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी .,जब की उस पता था की उस की ma'am उस से मना नहीं करेंगी और,  शिकायत करने के मौके नहीं देती...
हर बार की तरह फिर उस ने अपनी बात बताई लेकिन उस ने पूरा प्रोजेक्ट लिखने की request कर दी, और कुछ अच्छे तर्क के साथ... .शायद ये सोच कर की अब तो जरुर मना कर देंगी उसे एक मौका मिल जाएगा उन पर चिल्लाने का, और ये दिखाने की वो उन को कितना नापसंद करता है .
हर बार की तरह फिर उस ने अपनी बात बताई लेकिन उस ने पूरा प्रोजेक्ट लिखने की request कर दी, और कुछ अच्छे तर्क के साथ... .शायद ये सोच कर की अब तो जरुर मना कर देंगी उसे एक मौका मिल जाएगा उन पर चिल्लाने का, और ये दिखाने की वो उन को कितना नापसंद करता है .
पर जो हुआ उस की जितनी तारीफ की जाये कम है ,
उन्होंने मना तो नहीं किया पर जो कंटेंट विशाल ने नेट से कॉपी किये थे और कुछ  प्रोजेक्ट के फोटो स्टेट सब को खारिज कर दिया और बोला ''मैं अपना प्रोजेक्ट खुद से लिखती हूँ समझे ..'' मुझे कॉपी करने की आदत नहीं है..... .इतनी मेहनत से पूरा प्रोजेक्ट खुद से लिखा ,और शायद एक बार भी कहा हो की ये कितना बोरिंग है .बोरिंग तो था ही ,but  किसी काम को ले के बहुत dedicated हो जाती थी और पूरे मन से करती थी .विशाल को इस प्रोजेक्ट की बहुत जरुरत थी और इस से इतना प्रभावित हुआ था की जैसे पाँव जमीं पर हो और आसमान छु लिया हो .वो फिर गलत साबित हुआ था .सच कहूँ तो वो अपनी ma'am को समझ ही नहीं पाया था ,शायद उसकी सोच से भी ऊपर उसे पीछे के बवाल कुछ याद नहीं थे ,वो फिर से सब बुरी यादों  को भूल जाना चाहता था, और एक नयी शुरुआत चाहता था ..

दशहरा पर जब वह घर आया था हम फिर से मिले उस की पूरी बात मैंने अच्छे से सुनी क्यूँ की मेरे लिए iPOD गिफ्ट में लाया था ,हाहा हाहा :P :)
मैं समझ नहीं पा रहा की था की आखिर मेरा दोस्त चाहता क्या है .वह अपनी ma'am की respect तो इतनी करता  था की जिसकी कोई हद  नहीं ,बस जो कह दे तुरंत मान ने को तैयार था without any if or but किये  ,पर इतनी importence & priority उस ने आज तक किसी को नहीं दी ,unconditional  fan  बन गया था मेरा दोस्त .उस उसे परेशान होते हुए नहीं देख सकता हूँ .मैंने फ्रेंडशिप कर लेने की की advice  दी ,जो असम्भव  सा था ,इतना समय बीत गया पर उसे अपनी ma'am के बारे में कुछ मालूम नहीं था , तो दोस्ती कैसे होती .उस ने जरूरत ही नहीं समझी थी सिर्फ नाम और mob no.  ही जानता था  गधा .अब हमे अपने दोस्त के लिए कुछ करना था ,फिर क्या था ,facebook ,orkut , Yahoo ,Gmail ,जहाँ कहीं से भी हो ,जैसे भी हो उन के बारे में  पता लगाना था,,,
वो देल्ही इस बार नए जोश, उत्शाह के साथ वापिस गया, की अब पढाई पर पूरा ध्यान लगाना है ,बाकी सब सम्हालने की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गयी...
कहानी में ट्विस्ट आ गया ,उसकी चैटिंग कालेज के एक लड़की से हो रही थी ,शुरू में विशाल ने इतना ध्यान नहीं दिया,क्यूँ की वो commerce  डिपार्टमेंट में थी ,और ये आर्ट में था ,पर दोनों डिपार्टमेंट एक ही building  में थे .
दशहरा में  डांडिया रास dance  का आयोजन पास के हे पार्क में हुआ था .हॉस्टल के दोस्तों के साथ विशाल भी डांस देखने पहुंचा .फिर क्या था .hostel  के बन्दे भी भीड़ में घुस गए और उठा लिया दो दो डंडा ,पर शायद ही किसी को ये डांस आता  था हा हा :D lol 
,पर विशाल का क्या ल़क था यार .जिस से chatting .हो रही थी वो भी वहा थी ,बस एक आफत थी ,उस के भाई भी साथ थे .किसी तरह खाने के टेबल के पास, जब थोडा बात करने का मौका मिला तो सीधे साथ डांस करने को पूछा लिया .....thank God !! की उस ने मना नहीं किया और....
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,पर विशाल का क्या ल़क था यार .जिस से chatting .हो रही थी वो भी वहा थी ,बस एक आफत थी ,उस के भाई भी साथ थे .किसी तरह खाने के टेबल के पास, जब थोडा बात करने का मौका मिला तो सीधे साथ डांस करने को पूछा लिया .....thank God !! की उस ने मना नहीं किया और....
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aage story mein kya hoga me too excited to know.... and nice use of smileys":P
ReplyDeletethanks :)lgta hai story intresting h
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