Friday, July 1, 2011

A Junior’s Imagination!!! Chapter:5


A Junior’s Imagination!!! Chapter:5



कभी कभी हम अच्छा-अच्छा सोचते रह जातें हैं ,और कुछ नया हो जाता है उस से भी अच्छा ,और कभी, कुछ भी हमारी सोच के मुताबिक नहीं होता है ,.कुछ खूबसूरत रिश्ते ऐसे बन जाते है ,जिस में ये बातें बहुत होती है ,हर दिन कुछ न कुछ नया होता रहता ,और उसकी आदत सी हो जाती है ,इसे surprise कहतें हैं .
डांस खत्म हुआ ,सब अपने अपनी अपनी बात सुनाने में लग गएँ ,यार मैंने तो ये पहली बार किया था फिर भी कितना मस्त डांस किया तुमने देखा था ?,..नहीं यार मैं तो पूरे पार्टी में उसको ही देख रहा था ,तुम को देखने का टाइम नहीं मिला ,:D और इन तमाम बातों से हट कर विशाल की बात ,,,यार डेल्ही की कुड़ी इसे कहाँ मिल गयी थी ,क्या पार्टनर थे ,विशाल के हिस्से का डांस भी उसने कर दिया था ;) अब तो पार्टी बनती है :),आखिर एक लड़की के साथ डांस जो किया है .... विशाल "यार बस ऐसे ही था ,कुछ ख़ास नहीं ,infact मैं तो उसे अच्छे से जानता भी नहीं " पर उसकी कॊई नही सुन रहा था!
सब बाहर निकलने लगे ,विशाल के दोस्तों ने देखा की उसकी डांस partner बाहर अकेली है और किसी का वेट कर रही है ,तो उसे सब ने प्रोमोट किया की जा के बात कर ले यार ,और पूछ घर तक छोड़ दूँ क्या ..?विशाल बाबु काफी कांफिडेंट थे ,जा के पुछा लेकिन यहाँ भी भाई एलिमेंट आ गया ,और उस के भाई जो कहीं चले गए ,उसे लेने आ रहे हैं ,खैर जो भी हो ,विशाल ने सोचा आज नहीं ,तो फिर कभी और सही ...और बाय बोल के लौट रहा था ,लेकिन सर के पीछे वाली आँख से देख रहा था ;-) :P ,की शायद वो बुला रही है ,उस ने मुड़ कर देखा ,तो वो विशाल से उस का contact no. मांग रही थी .WOW !!what a surprise था ,पर ये क्या गधे ने बोला हम chattinng पर ही बात कर लेगें,phone no की क्या जरुरत है ..? yuck !पता नहीं कितना आगे तक सोच ले गया होगा ...एक नयी freindship मूवी की स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी थी यहाँ पर .
अगले दिन होलीडे ,वह सोचा रहा था ,की अगर mob no. दिया होता ,तो शायद आज good morning,evening,afternoon etc वाले sms आने शुरू हो जाते पर.....:P फिर खुद ही no दे दिया.
कालेज में एक बहुत बड़ा सा कैंटीन था .विशाल कालेज कैंटीन में लंच कर रहा था , लंच बाक्स अपने दोस्त के बैग से निकाल लाया था .इतने में वो आ गयीं ,अपने लंच बाक्स के साथ ,उस के सामने ,और पुछा तुम लंच बाक्स रोज लाते हो ?.. हाँ ..मुझे बाहर का खाना पसंद नहीं ..मैं भी ...अपना अपना लंच बाक्स आगे बढाया ....विशाल ने यहाँ पहला झूठ बोला ..और आगे अभी बहुत सारे झूठ बाकी है ...:D विशाल का नया शौक ,कालेज बिना लंच बाक्स के नहीं जाना है ,चाहे जैसे हो कैसे भी ,अब हॉस्टल में उसे टिफिन कौन दे ,सो दोस्तों के टिफिन ले के कैंटीन पहुँच जाता ,
बहुत कम समय में ,बहुत कुछ जानने को मिला उसे ,facebook chatting बहुत होती थी ,fb का मतलब chatting ,chatting का मतलब उसे से बात होना और वो भी हमेशा ऑनलाइन ही रहती थी ,BlackBerry वाली थी ,
अब विशाल ने net पर उसका रिजल्ट देखा तो बहुत poor performance था .infact,फेल होने वाली थी ,पर उस ने इस बारे में ध्यान नहीं दिया ,सोचा की जब खुद बताएगी तब कुछ बोलना सही होगा .क्यूँ की जिस में उस का सब कम स्कोर था ,वह computerसे सम्बंधित subject था ,जिसे बड़ी आसानी से समझा जा सकता था .
उस ने कुछ भी नहीं पुछा.फाइनल में फेल हो गयी .अब उस ने रोते हुए अपना हाल सुनाया.जब सब कुछ हाँथ से निकल चुका था.और कुछ ख़ास नहीं किया जा सकता था ,सिवाय होने वाले बैक पेपर की preparation के ,,
इस से अच्छा अवसर शायद नहीं मिलने वाला था खुद को साबित करने का और एक बड़े सवाल का जवाब काजवाब भी ,की जब कोई किसी की हेल्प करता है ,तो कैसा महसूस होता है.विशाल ने अपनी पूरी मेहनत झोंक दी ,और एक बेहतरीन सॉफ्टवेर बना डाला,यही प्रोजेक्ट था, और इसी में पास होना था,विशाल ने समझाने की कोशिस की तब पता चला की किसी को समझाना आसान काम नहीं है ऊपर से अगर वो complicated bookish problem हो ,उसे अपनी मैंम की बहुत याद आई यहाँ पर ,और कुछ उसी तरह समझाने की कोशिस की ...इस सब्जेक्ट में वह किसी तरह पास हो गयी ,पर दुसरे एक और subject में पता नहीं कैसे paper clear नहीं कर पायी थी .जब फिर से फाइनल रिजल्ट आया तो इयर बैक लगी .
विशाल के इस से बड़ा पेनफुल मोवेमेंट कोई नहीं हो सकता था ,वह खुद को ,कहीं न कहीं इस का जिम्मेदार मान रहा था ,की काश उस ने पहले एक बार बताया होता ,तो शायद आज ये न होने देता ,एक पेपर ही तो क्लिअर करना था.जैसे विशाल को उसकी मैम ने बचाया था वैसे ही वो भी इसे बचा लेता,जो भी हुआ अच्छा नहीं था ,उस को पास तो नहीं करा पाया लेकिन इसी चक्कर में दोस्ती जरूर हो गयी थी.
अब तो long long sms chat होती थी ,...एक दिन क्लास में बैठे थे विशाल बाबु और वहीँ शुरू हो गए .sms करने में इतना BUSY था ,की Prof. ma'am उस के पास आ गयीं थीं और उसे हवा तक नही लगी प्रोफेसर साहिबा ने एक दो बार पहले शायद उसे टोंका था की क्लास में मोबाइल USE न करे .और सही मौका की तलाश में थीं ,जो उन्हें मिला ,और विशाल को क्लास disturb करने के जुर्म में निकाल दिया ,ha haअब क्लास के बाहर आ कर पहले से ज्यादा आराम से chatting हो रही थी ,
वो क्लास में बैठे अपने freinds को देख रहा था सब की शक्ल ऐसी थी; जैसे हलाल होने वाले बकरे की ,आखिर presentation हो रहा था .क्या यार senior मैम मेरी तरफ क्यूँ आ रही है,अब ये सवाल तो होना ही था की सब अन्दर है, तुम class से बाहर क्यूँ हो ,सो कुछ अच्छे बहाने ढूंढ लिए उसने in advance .और उस की सिनिअर मैम आई और सच में यही पूछा लिया ...

इतने दिन बाद बात हो रही थी ,ऊपर से जेब में अगले प्रोजेक्ट का टॉपिक भी रखा था ,सो उसे ही पहले पेश कर दिया .लेकिन पता नहीं क्यूँ आज इग्नोर कर रही थीं.शायद मूड ठीक नहीं था ,इस पर भी पढाई की बात तो बिलकुल भी नहीं .घबरायी हुई थीं जैसे presentation दे के आ रही हो .पर बात कुछ और ही थी ,वो प्रोजेक्ट वाला पेपर मोड़ कर विशाल को वापस कर दिया और कहा मैं ''अब और तुम्हारी हेल्प नहीं कर सकती हूँ और अपना गुरु change कर लो ..किसी और senior को ढूंढ लो किसी मैं खुद इस सेमेस्टर में अच्छा perform नहीं कर रही हूँ,फेल होने वाली हूँ ,अब मैं तुम्हारी हेल्प कैसे कर सकती हूँ :-O "
विशाल चकरा गया की ये सलाह है या order और ऐसा क्यूँ कह रही हैं .कहीं उसने कुछ गड़बड़ कर दी क्या.ऐसे ही सैकडो सवाल दिमाग में तैरने लगे.जिस के जवाब से वो खुद को गलत साबित कर सकता था और अपनी मैम को सही .विशाल कुछ बोल पाता की उन की अगली क्लास शुरू होने वाली थी और वो चली गयीं ,विशाल ने क्लास के बाद मिलने की request की,ये बताने के लिए की कैसे आप का साथ होना ही आधी प्रॉब्लम साल्व कर देता ,की कैसे आप कभी फेल नहीं हो सकती ,मेरे लिए आपकी importance क्या है आप को नहीं पता और शायद कभी भी पता न चल पाए.की कैसे एक रिश्ता,जो दो लोगों से शुरू हुआ था ,एक के चाहने से ,ख़त्म नहीं हो सकता है ,विशाल ने फिर अपनी क्लास की तरफ देखा ,अन्दर बैठे हुए सब लोग उस से ज्यादा खुश लग रहे थे ,और ऐसा लग रहा था शायद उस की विवशता पर हंस रहे हो ,काश मैं क्लाश में होता तो ये सब सुन ने को न मिलता . blah blah...
अगली क्लास में बैठे बैठे यही सोच रहा था.क्लास ओवर हो गयी .फिर भी बैठा रहा.और उस की मैम जा चुकी थी .क्यूँ की विशाल,मिलने वाले टाइम से पूरे आधे घंटे लेट हो गया था..उस ने हवा में एक ताजमहल बनाया था जो आसमान में ही क्रैश हो गया था ,जमीन पर उतारने की नौबत ही नहीं आई ...उसकी धूल और धुंए के गुब्बार बीच फंसा था ,अब वह ground zero पर था .

[रही सही कसर उस लड़की ने पूरी कर दी.वह relationship में थी.पर विशाल को बताने की जरुरत नहीं समझी.पर एक गलती कर दी जो facebook relationship status update किय़ा ,but विशाल को अब भी block रखा था .facebook पर PRIVACY नाम की कोई चीज़ होती नहीं है.और यहाँ से बात लीक हो गयी. ये shock no 2 था.विशाल दिल का मरीज हो गया .2nd Crush को तो brush किया जा सकता था पर, 1st वाले के लिए Open Heart surgery करनी पड़ती .
वो लड़की अब विशाल की junior हो गयी थी ,विशाल senior हो गया था ,दोनों के डिपार्टमेंट अलग अलग थे फिर भी मुलाकात हो जाती थी कभी कभी,उसने विशाल की तरफ FRIENDS FOREVER वाला हाँथ बढाया.पता नहीं क्यूँ इतना इम्प्रेस थी विशाल से.मैं जानता हूँ की उस ने बहुत कम दोस्त बनायें हैं आज तक .
यहाँ विशाल को उस सवाल का जवाब मिल गया था,जिस की तलाश में उस ने इसकी हेल्प करनी शुरू की थी और इसका किसी क्या असर पड़ता है और कितना असर पड़ता है ,वह समझ गया था ,विशाल उस से दोस्ती कैसे कर सकता था .अब वह एक जूनियर जो थी ..उस ने तो यही सुना था की एक सिनिअर और जूनियर में एक लिमिट तक बात हो सकती है ,but फ्रेंडशिप नहीं .लेकिन अगर उसने कभी कोई हेल्प मांगी ,वह कभी मना नहीं करेगा ,as a senior in a purely professional relationship हेल्प करेगा .

विशाल ने एक दोस्त होने के नाते मुझे ये सब बताया था, पर इस बार जब उस ने एक फटी सी नोटबुक दिखाई तो मैं हैरान था की उसने ये सब बात लिखी हुई थी,उस ने ये बात कभी नहीं बताई थी मुझ से की वो ये सब लिखता है ,सारे फसाद की जड़ यही थी ,जब भी ये नोटबुक ओपन करे, पूरा सीन रिवाइंड हो जाता था .और कुछ हैण्ड नोट्स stick थे उसकी मैम की हैण्ड writing में जिसे बेहद पसंद करता था .विशाल को अपनी ही सोच में उलझा हुआ देख रहा था,ऐसा लग रहा था जैसे अपनी कल्पनाओं के जाल में बुरी तरह फंसा हुआ है ,जैसे एक पंछी ,जितना फडफडाता खुद को उतनी ही चोट लग रही थी उस जाल में .मैंने उसे पूरा नहीं पढ़ा फिर भी जितना पढ़ा ,उसे आगे नहीं लिखने
को कहा,
बस बहुत हो गया था .मैं उस के घर से बाहर निकला ,तो देखा आंटी जी कबाडी को पुराने पेपर दे रही थी ,और वो बैमानी से तौल रहा ,आखिर में कुछ पेपर कम पड़ गए ,विशाल ने अपनी नोटबुक रख दी तराजू पर और दोनों पलड़े बराबर हो गए , after all अब ये और कुछ नहीं सिर्फ A JUNIOR's IMAGINATION...जो थी!
:)

2 comments:

  1. nice idea and grt chapte....simply awesome... gud job Dhruva..":)

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  2. thanks for a beautiful compliment Ms Pooja :)

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