Sunday, May 29, 2011

A junior’s Imagination!!!


Chapter :2

कालेज जाने से पहले हम ने ragging की तमाम stories सुन रक्खी थी की कैसे Seniors अपने फ्रेशेर्स बैच के स्टुडेंट की इंट्रो लेते हैं , मुर्गा बनाते हैं ,और पता नहीं क्या क्या करने को कहतें है .मैंने विशाल से कहा की AU तो अपना ही इलाके में है सो नो प्रॉब्लम ..पर देल्ल्ही का पता नहीं यार वहां कुछ भी हो सकता हैं ,मैंने उसे training दी की कैसे एक दिन में 3 बार विश करना है ,सर.. सर.. सर.. मैम ..मैम.. मैम.. बोलना है ,भैया दीदी नहीं कहना etc.और फिर भी कुछ होता है तो मिल के देख लेंगे ....senior ही है न कोई भगवान तो नहीं हैं...

लेकिन २ महीने बीत गए किसी senior ने नाम तक नहीं पूछा..विशाल खुशनसीब था की बच गए यार ..पर जब एक दिन ऐसे ही library में एक मैम ने अपने batch-mate से बोला ' हमारे juniors बिलकुल interact ही नहीं करते है ,,,,ऐसे डरे रहते जैसे हम उन को खा जायेंगे...पर हम ऐसे नहीं है .... विशाल ने ये बात सुनी ,Library में 1st semester का और कोई नहीं था .और विशाल खुद ने विश किया .'
ये बिलकुल नयी बात थी ...ऐसा कभी सोचा न था की seniors इतने अछे होते है ,कुछ भी नहीं पूछा ..सिर्फ इतना कहा ...पढाई लिखाई में जरुरत पड़े तो बता देना यहाँ के हर एक senior बहुत अच्छे है ....विशाल ने मन में सोचा की औरों का पता नहीं लेकिन आप तो बहुत अच्छी हो ..ये सब से पहली बार किसी senior से बात थी और विशाल ने मुझे वर्ड-to-वर्ड बताया था ,मुझे भी लगा बच गया ये बन्दा ..अब ragging phobia ख़तम हो रही थी .हमारी planning की जरुरत ही नहीं पड़ी हमारी सोच ही शायद गलत थी यहाँ पर.विशाल को बिना मांगे वरदान मिल रहा था . यही 1st impression था उस senior का जो अभी तक बना है विशाल के ऊपर .computer के दीवाने हम दोनों लोग है ,और literature & grammar से दूर भागते थे ,और इस को पढ़ना बोरिंग लगता था .
B.A in Psychology में English Literaure पढना था ,मुझे तो पता था की अगर मेहनत नहीं की इस ने तो फेल हो के ही रहेगा .Internal के result आये और सच में फेल हो गया .अब वह दुखी और उदास रहने लगा की आगे क्या होगा. फेल तो हम अपने Carrier में कभी नहीं हुए थे .
हम ने उसे काफी motivational sms send किये की बेटा पढाई कर अभी गेम ओवर नहीं हुआ है. क्योंकि अभी तुझ को जीतना है .और वहां के Batch Mates के क्या कहने इतना भाव खाते थे की २ सेमस्टर तक तो कोई दोस्त ही नहीं बना ,
तभ हमे !dea आया ..की अपनी मैम से प्रॉब्लम बता शायद कुछ काम बन जाये ,पर उस की हिम्मत ही नही पड़ रही थी की जा के कहें ...मैम मुझ को English Literature पढ़ा दो,पता नहीं क्यूँ ....काफी साहस कर के वो पूछने गया ....जब उसने पुछा तो ,सिर्फ एक बार में अगले दिन बाद १२ के बाद " पढ़ा देंगे .. " की बात पक्की हो गयी विशाल को लगा ये कितना आसान था और में फ़ालतू में डर रहा था .
अगले दिन विशाल की क्लास जो 11:४५ पर ख़तम होती थी 12:१० पर ख़तम हुई ,वो क्लास मेंबैठे बैठे यही सोच रहा था की की,एक तो कोई SENIOR टाइम दे रहा है पढ़ाने के लिए और उस पर भी लेट हो जायेंगे तो क्या सोचेंगी मैम ....मुझ को तो 10 min पहले पहुंचना चाहिए ...जब क्लास ओवर हुई तो पूरी रफ़्तार से Library की तरफ भागा ...पर ये क्या यहाँ तो मैम नहीं है ..लगता है आई होंगी, और मुझे न देख कर वापिस चली गयीं होंगी. यही सोच कर हैरान हो रहा था ,पर ये हैरानी ज्यादा देर तक ना थी न थी ..मैम अचानक सामने आई और बोली I M SORRY FOR BEING LATE ....टाइम देखा तो पता चला १२:४५ हो रहे है ,वाह!!! मैम खुद ही लेट है !!!! ,उस दिन तो कुछ पढाई नहीं हुई क्यूँ की 1 pm से दूसरी क्लास थी और फिर 'next day' decide हुआ ..
..हम ने अंदाज़ा लगाया की देर से पहुँचने की आदत होगी उन की .और आज 3४ मुलाकातों के बाद विशाल ये भी जान गया है की क्यों वो समय पर कम ही पहुँच पातीं है ये तीसरी official मुलाकात थी .
अगले दिन फिर से 3pm बजे पढाने का टाइम तय हुआ library में और वो पहले से ही वहा पर थी और पढना पढाना शुरू हुआ,,,वो पूरा पेज खुद ही पढ़ती थी और सिर्फ इतना पूछती थी ....बात समझ आई ?? ..बात समझ आई या नहीं..(smile) विशाल को समझ आये तो भी.. येस मैम.. न समझ आये तो भी येस मैम!! .क्यूँ की मैम पूरा प्रयास कर रही थी अपनी बात समझाने की और "नहीं " बोल के हताश नहीं करना चाह रहा था मैम को .

1st semester over होने वाला था पर न ही विशाल, न ही मैम. ने ,एक दुसरे का नाम जानना चाहा,क्यूंकि जो भी बात होती थी सिर्फ पढाई -लिखाई के बारे में होती थी और कुछ नहीं .नवम्बर महीने की शर्द शाम के 4 बजे विशाल कंप्यूटर-लैब में बैठा था ,और पूरी लैब भरी थी ,एक भी कंप्यूटर खली ना था. विशाल ने पीछे से आवाज सुनी ..."उठो ..तुरंत उठो ...मुझे कंप्यूटर अभी चाहिए ..." विशाल ने घूम के देखा वह उस की मैम थी .वह surprised था की ये कहाँ से ....पहले तो कभी नहीं देखा .बिना कुछ बोले विशाल वहाँ से हट गया.मैम ने Orkut , facebook चेक किया और १० मिनट बाद सब close कर दिया....विशाल घर निकलने वाला था और मैम को बाय कहने गया.मैम बोली अगर कुछ पढ़ना हो तो पूछ लो आज टाइम है मेरे पास .विशाल बोला ''..येस मैम...'' बहुत कुछ पूछना है .library चले ..पूरी library में बहुत कम लोग थे.विशाल ने उन की Email-ID मांगी ,तो कहा मैं 'याहू लोग-इन & chatting बहुत कम करती हूँ ' और अपना Mob No. खुद ही एक पेपर स्लिप पर लिख कर दे दिया और कहा ..u can call me on this no,but please don't share it without
permission .इस तरह पहली बार विशाल ने उन का नाम & semester जाना , अपना नाम बताया .

तब विशाल ने मुझे ये सब ऐसे बताया |
Breaking न्यूज़ ..'तुम्हारे गधे विशाल को किसी ने अपना Mob No. खुद से दिया है.मैं भी surprised था.हम दोनों के लिए ये nice & cool था .ईमेल-ID हमारे पास आई ,और हमारा ये फ़र्ज़ बनता था की cyber WORLD में मैम जहाँ- जहाँ हो पता लगाया जाये ,पूरी information दी जाये ,जरूरत पड़े तो hacking भी की जाये ,क्यूँ की मुझे लगा की अब विशाल के लिए उस की मैम बहुत Important हो गयी है मुझे से भी ज्यादा ,मेरा हाल कम ही पूछता , और अपनी पूरी बात सुना के बाय बाय कर ले .....




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2 comments:

  1. Hmm... Vishal
    Uske liye mam shyad isliye imp. hai kyunki uske waha par frnds nahi hai aur ek woh mam hai jisse interaction hota tha... aur Dhruva vishal ke liye tum hamesha imp.. rahoge..

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  2. well said pooja !!this is true.
    word 'Shayd ' ki jrurat ni h.

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